परिचय

वनस्थली विद्यापीठ महिला शिक्षा की राष्ट्रीय संस्था है। जहाँ शिशु कक्षा से लेकर स्नातकोत्तर शिक्षण एंव अनुसंधान कार्य हो रहा है। विद्यापीठ को विश्व विद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम की धारा 3 के अधीन भारत सरकार द्वारा विश्व विद्यालय मान्य संस्थान घोषित किया गया है। विद्यापीठ एसोसिएशन ऑफ इण्डियन यूनिवर्सिटीज तथा एसोसिएशन ऑफ कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटीज का सदस्य है।

विद्यापीठ का लक्ष्य पूर्व एंव पश्चिम की आध्यात्मिक विरासत एंव वैज्ञानिक उपलब्धि के समन्वय को व्यक्त करने वाली छात्राओं के सर्वतोभद्र व्यक्तित्व का विकास करना है।

ग्राम पुननिर्माण का कार्यक्रम प्रारम्भ करने और साथ ही रचनात्मक कार्यक्रम के माध्यम से सार्वजनिक कार्यकर्ता तैयार करने की इच्छा, विचार और योजना मन में लिए हुए, वनस्थली विद्यापीठ के संस्थापक स्व. पं. हीरालाल शास्त्री ने सन् 1929 में भूतपूर्व जयपुर राज्य सरकार में गृह तथा विदेश विभाग के सचिव के सम्मानपूर्ण पद को त्याग कर बन्थली (वनस्थली) जैसे सुदूर गाँव को अपने भावी कार्यक्षेत्र के रुप में चुना। उनके साथ उनकी पत्नी स्व. श्रीमती रतन शास्त्री भी इस कार्य के लिये आगे आईं।

यहाँ यह कार्य करते हुए पं. हीरालाल शास्त्री एवं श्रीमती रतन शास्त्री की अपनी प्रतिभावान पुत्री 12.5 वर्षीय का अचानक 25 अप्रैल, 1935 को केवल एक दिन की अस्वस्थता के पश्चात निधन हो गया। शान्ता बाई से उन्हें समाज-सेवा की बड़ी उम्मीद थी। इस एस आभाव और रिक्तता की भावनात्मक पूर्ति के लिए उन्होनें अपने परिचितों–मित्रों की 5-6 बच्चियों को बुला कर उनके शिक्षण का कार्य आरम्भ कर दिया और इसके लिये 6 अक्टूबर, 1935 को श्रीशान्ता बाई शिक्षा-कुटीर की स्थापना की, जो कि बाद में वनस्थली विद्यापीठ के रुप में विकसित हुई।

इस प्रकार वनस्थली का जन्म,प्रेम और करुणा की भावना से हुआ। प्रारम्भ में वनस्थली में शिक्षण कार्य के लिए न कोई अपनी भूमि थी, न कोई भवन, न रुपया-पैसा। थी तो एकमात्र संकल्प शक्ति। आज वनस्थली स्त्री शिक्षा का सर्वांग सम्पूर्ण केन्द्र है।