राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव ने वनस्थली के विचार को आधार दिया। इससे पूर्व यह भारतीय संस्कृति की ही एक दृष्टि थी। इस प्रकार वनस्थली की समपूर्ण संरचना राष्ट्रीयता तथा भारतीय संस्कृति रूपी दो स्तम्भों पर खडी है।
विद्यापीठ शुरू से ही इस वात मे पूर्ण रूप से स्पष्ट थी कि शैक्षिक प्रयास किस प्रकार हों, शिक्षा किस प्रकार दी जायें, जिससे कि विद्यार्थी का सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास हो सके, जबकि उस समय अन्य जगहों पर शिक्षा का मतलब केवल किताबी ज्ञान से था।
विद्यापीठ के इसी उद्देश्य ने पंचमुखी शिक्षा की नींव रखी। पंचमुखी शिक्षा के पाँच अंग है– शारीरिक, व्यावहारिक, कला-विषयक, नैतिक एवं बौद्धिक शिक्षा।
विद्यापीठ का लक्ष्य पूर्व एवं पश्चिम की आध्यात्मिक विरासत एवं वैज्ञानिक उपलब्धि के समन्वय को व्यकत करने वाली छात्राओं के सर्वतोभद्र व्यक्तित्व का विकास करना है।