Research and Development

शोध, परामर्श एवं विस्तार


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उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध का घटक विश्वविद्यालयवत् का दर्जा मिलने से पूर्व ही अपना लिया गया था। यद्यपि यह मुख्यतः पीएच.डी. हेतु अध्ययन के रुप में है। अब पिछले दस वर्षों से विभिन्न क्षेत्रों में प्रायोजित शोध तथा परामर्श परियोजनाएँ भी ली जा रही हैं। इस दिशा में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है हाल ही में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वनस्थली विद्यापीठ को प्रायोजित "गणितीय विज्ञान में अनुसंधान केन्द्र"। ऐसे केन्द्र पूरे देश भर में गिने चुने हैं। इस केन्द्र की स्थापना से निश्चय ही न केवल वनस्थली वरन संम्पूर्ण क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा। इनमें कुछ महत्वपूर्ण प्रयोजनाएँ निम्नलिखित हैं:

· कॉयल नेटः राजस्थान के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु सूचना तकनीकीसूचना तकनीकी मंत्रालय- भारत सरकार द्वारा प्रायोजित (कम्प्यूटर साइंस एवं इलैक्ट्रोनिकी विभाग) (2002-2005)

· दी डिस्ट्रीब्यूशन ऑफ V-ATPase and V-PPase इन प्लान्ट्स ग्रोविंग एज नेचुरल इनहेबीटेन्ट्स इन दी सेमी एरिड रीजन ऑफ नॉर्थ वेस्ट इण्डिया इन्डो जर्मन प्रोजेक्ट, विज्ञान एवं तकनीकी विभाग, भारत सरकार (2001-2004).

· जैव विज्ञान व जैव प्रौद्योगिकी विभाग को शोध व शैक्षिक कार्यक्रम हेतु डी ए ए डी (जर्मन शैक्षणिक विनिमय सेवा) द्वारा विकासशील देशों में उच्च शिक्षा एवं शोध संस्थानों हेतु उपकरण अनुदान के अन्तर्गत लगभग 12 लाख धनराशि का अनुदान (2004)।

· ज्ञानोद्योग लोकीकृत गृह उद्यमिता द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी संस्कृति का विकास एवं महिला सशक्तीकरण, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित (2004-2005).

· महिला अध्ययन एवं अनुसंधान केन्द्रः विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित (2004-2007)

· अंग्रेजी से हिन्दी भाषा में मशीनी अनुवाद का मूल्यांकन, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित (2006-2008).

 

किसी भी संस्था में नवोन्मेष तथा शोध प्रक्रिया का अभिप्रेरण जीवंत प्रशासकीय सक्रियता तथा सुदृढ़ शैक्षणिक आधार पर अवलम्बित है। विद्यापीठ इस ओर निरंतर प्रयासरत है। विद्यापीठ का केन्द्रीय पुस्तकालय अत्यन्त समृद्ध है तथा इसे प्रतिवर्ष वार्षिक बजट के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों के संदर्भ साहित्य तथा पत्र-पत्रिकाओं द्वारा लगातार सज्जित किया जा रहा है। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल परिसर में नेटवर्किंग द्वारा इन्टरनेट सुविधाएँ प्रदान करना तथा पुस्तकालय को इनफ्लिबनेट से जोड़ना है। 4000 से भी अधिक शोध पत्रिकाओं के पूर्ण प्रारूप यू.जी.सी. इन्फोनेट प्रायोजना के अंतर्गत ऑनलाइन उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त आवश्यकता के अनुरूप कई विभागीय पुस्तकालय भी है जो सभी वनस्थली के कैम्पस नेटवर्क द्वारा जुड़े हैं।

शोध परिणामों के अनुभवों को शिक्षकों एवं छात्राओं के लाभ की दृष्टि से विभिन्न माध्यमों द्वारा विस्तार गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है। विद्यापीठ में विभिन्न क्षेत्रों में क्षेत्रीय व राष्ट्रीय कार्यशालाओं, सेमीनारों, संगोष्ठियों व परिचर्चाओं का आयोजन किया जा रहा है। साथ ही शिक्षकों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र के कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहन व सहयोग प्रदान किया जा रहा है। इसके अलावा अन्य माध्यमों से भी विद्यापीठ परिसर में एवं बाहर विशेषज्ञ सेवाएँ उपलब्ध करवाई जा रही हैं। उदाहरणार्थ- विद्यापीठ परिसर में प्रतिवर्ष गर्मियों मे फ्रेस्कों पेन्टिंग शिविर लगाया जाता है जिसमें विख्यात कलाकार भाग लेते हैं। शिक्षकों एवं छात्राओं की विभिन्न शोध परियोजनाओं की उपलब्धियाँ कई स्तरीय प्रकाशनों में पुस्तकों, प्रतिवेदनों, मोनोग्राफ तथा पत्र-पत्रिकाओं में स्थान पा रही हैं। विभिन्न विभागों द्वारा विद्यापीठ की गतिविधियों और उपलब्धियों को दर्शाने वाली गृह-पत्रिकाएँ भी प्रकाशित की जा रही हैं।